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raj aawaj
बुधवार, 30 अप्रैल 2008
कहे तम्बाकू मैं ब्रिजनार...
एक कवि की कविता यद् आती है
कहे तम्बाकू मैं ब्रिजनारदूजे देत कलेजा जार तीजे नैन जोत हर लेत चौथे जवान बूढ़कर देत
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